बहुत कुछ बदल चुका है यहां,
लोग कुछ को कुछ समझने लगे हैं।
पहले जो संकेत मात्र से समझ जाते थे,
अब बार-बार कहने से भी नहीं समझते।
सोचता हूँ,
छोड़ दूँ सबको।
पर ईगो है कि,
भूलने नहीं देता कुछ भी।
हरदम बस एक ही बात दिमाग में घूमती है,
कि पा लूँ किसी तरह वो सब,
छूट चूका है जो,
पीछे,
बहुत पीछे।
पर,
संभव नहीं ऐसा करना,
इसीलिए,
रहने देता हूँ,
जो,जैसा,जहां,
जिस हाल में हैं।
शुभ प्रभात
जवाब देंहटाएंबदल गया
रहा है
पल-पल
काश टाईम मशीन होती
सादर
हटाएंआपका हार्दिक आभार।
बहुत खूब ...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
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