हँसता है,हंसाता है,
गम अपने वो,
सबसे छिपाता है।
कहते हैं लोग,
खुश है वो,
और है,
किस्मतवाला भी।
किये होंगे कर्म अच्छे,
उस जनम में,
दे रहे हैं फल अच्छे जो,
इस जनम में।
सुनता है वो,
दुखड़े उन मित्रों के,
है परेशान जो,
अपने ही बेटे-बहू से,
उनके परायेपन के बर्ताव से।
मित्र आसूँ बहाते हैं,
वो सहानुभूति जताता है।
और,
न जाने क्यों,
मित्रों के जाते ही,
फुट पड़ती है,
रुलाई उसकी भी।
रो उठता है,
फूट -फूटकर,
वो खुद भी।
बहुत सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद।
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