अनुभूति

रह पाता, 
अगर मैं अकेला,
रह जाता, 
हमेशा के लिये।
पर,
आसान नहीं है, 
ऐसा करना। 
क्योंकि,
जरूरत होती है इंसान को,
सदा ही दूसरे इंसान की।
सोचता हूं क्या होता,
अगर मैं आने ही न देता,
किसी को जीवन में अपने।
पर संभव ही न था ऐसा हो पाना,
क्योंकि,
अकेले जीने की व्यथा को, 
महसूस किया है मैंने
करीब से,
इतना करीब से,
कि,
यह व्यथा भी बनकर रह गयी है,
एक अनुभूति जानी-पहचानी सी।

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 21 जनवरी 2018 को साझा की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. अकेलेपन की व्यथा.....
    बहुत खूब
    इंसान को इंसान की जरूरत होती है
    सरल और सहज भाषा में मन की बात
    वाह!!!!

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  3. आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. अकेलेपन की अनुभूति को अच्छा जिया आपने .. बहुत अच्छा लिखा है !

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